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स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने की ‘कायाकल्प मंथन’ की अध्यक्षता, बोले- जनभागीदारी से सरकारी अस्पतालों की सेवा में होगा सुधार

स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने की ‘कायाकल्प मंथन’ की अध्यक्षता, बोले- जनभागीदारी से सरकारी अस्पतालों की सेवा में होगा सुधार

केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री जे.पी. नड्डा ने आज गुरुवार को ‘कायाकल्प मंथन’ नामक एक उच्च स्तरीय बैठक की अध्यक्षता की। इसमें स्वास्थ्य मंत्रालय के वरिष्ठ अधिकारी, केंद्रीय सरकारी अस्पतालों के प्रतिनिधि, गैर-सरकारी संगठन (NGOs) और स्वास्थ्य विशेषज्ञ शामिल हुए। बैठक का उद्देश्य देश भर में सार्वजनिक स्वास्थ्य सेवाओं को बेहतर बनाना और जनभागीदारी को बढ़ावा देना है। बैठक में खास ध्यान कायाकल्प योजना को नई ऊर्जा देने पर रहा। यह योजना वर्ष 2015 में शुरू हुई थी जिसका मकसद सरकारी अस्पतालों में स्वच्छता, साफ-सफाई और संक्रमण पर नियंत्रण करना है। पिछले दस वर्षों में योजना का दायरा काफी बढ़ा है। केंद्रीय अस्पतालों की संख्या 10 से बढ़कर 25 हो गई है, और यह योजना राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (NHM) के माध्यम से राज्य स्तरीय अस्पतालों तक भी पहुंची है।

केंद्रीय मंत्री नड्डा ने कहा कि अब समय आ गया है कि इस योजना को सिर्फ साफ-सफाई तक सीमित न रखकर इसे एक व्यापक बदलाव अभियान के रूप में देखा जाए। उन्होंने कहा, “हमें रोगी-केंद्रित प्रणाली की ओर बढ़ना होगा, ताकि जनता की बढ़ती अपेक्षाओं को पूरा किया जा सके।” उन्होंने यह भी कहा कि अस्पतालों में इलाज के साथ-साथ पर्यावरण, वातावरण और स्टाफ का व्यवहार भी रोगी के अनुभव को प्रभावित करता है। “हर दिन हजारों लोग सरकारी अस्पतालों में आते हैं और इलाज कराते हैं, लेकिन कई बार उनके फीडबैक में सकारात्मकता नहीं दिखती। उन्होंने इसका कारण संवाद में कमी और सहानुभूति की कमी को बताया।

उन्होंने सभी स्वास्थ्य संस्थानों में गुणवत्ता बनाए रखने के लिए निरंतर प्रशिक्षण, नियमित समीक्षा और सख्त निगरानी व्यवस्था की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि अस्पतालों की छवि और जनधारणा सुधारने के लिए इन्फ्रास्ट्रक्चर, सफाई, स्टाफ का व्यवहार और मूलभूत सुविधाओं को मजबूत किया जाना चाहिए। इस बैठक का मुख्य बिंदु जनभागीदारी यानी स्थानीय समुदायों की भागीदारी से अस्पतालों के प्रबंधन में सुधार लाना। केंद्रीय मंत्री ने कहा, “लोगों में अस्पतालों के प्रति अपनापन और जिम्मेदारी की भावना जगाना जरूरी है। कायाकल्प को अब एक जन आंदोलन बनाना चाहिए।”

नड्डा ने दिल्ली और अन्य महानगरों के बड़े अस्पतालों पर बढ़ते बोझ को देखते हुए कहा कि जमीनी स्तर के स्वास्थ्य केंद्रों जैसे सब-हेल्थ सेंटर पर ध्यान देना जरूरी है। उन्होंने प्रशिक्षण, क्षमता निर्माण, तकनीक का समावेश और पर्यावरण अनुकूल नवाचारों को बढ़ावा देने पर बल दिया, ताकि शहरी अस्पतालों पर दबाव कम किया जा सके। उन्होंने कहा, “कायाकल्प केवल एक स्वच्छता अभियान नहीं है, बल्कि यह इस बात का प्रतीक है कि हम स्वास्थ्य सेवाओं को किस तरह सोचते, संचालित करते और प्रदान करते हैं।” -(PIB)

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